श्रीमद् भागवत एक ऎसा पुराण है जो सभी वेदों का सार है। जो
भी मनुष्य श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करता है उसके करोड़ों जन्मों के पाप
नष्ट हो जाते हैं।
श्लोकार्धं श्लोकपादं वा नित्य भागवतोद्धवम।
पठस्व स्वमुखोनैव यदीच्छसि परां गतिम्।।
अर्थात जो मनुष्य परम गति की इच्छा रखता है और यदि वह अपने मुख से
ही श्रीमद् भागवत के आधे अथवा चौथाई श्लोक का भी नित्य नियम पूर्वक पाठ कर
ले तो वह श्री कृष्ण के परम धाम वैकुण्ठ को प्राप्त होता है। वैसे तो इसे
सुनने के लिए दिनों का कोई नियम नहीं है सर्वदा ही इसे सुनना अच्छा है
किन्तु श्रीमद् भागवत के अनुसार ये छः माह श्रेष्ठ बताए गए हैं -
नभस्य आश्विनोर्जौ च मार्गशीर्षः शुचिर्नभाः।
एते मासाः कथारम्भे श्रोतृणां मोक्ष सूचकांक।।
अर्थात् 1-भाद्रपद
2-अश्विन
3-कार्तिक
4-मार्गशीर्ष
5-आषाढ़
6-श्रावण
ये छः महिने श्रीमद् भगवात के श्रोताओं के मोक्ष प्राप्ति के कारण हैं।
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